किस्मत से लड़ रहा हूं मैं
हर रोज़ नई जंग
इस बात का किसी को भी
एहसास नहीं है
मुस्करा कर जिंदगी का
लुत्फ ले रहा हूं
मंजिल का पता जबकि
मेरे पास नहीं है
अधेरों के बीच जुगनुओं
को खोजता हुआ
ये जानते हुए की कोई
आस नहीं है
मैं यूं ही भटकता रहा
मंजिल की खोज में
रहमत से तेरी कोई भी
मायूस नहीं है
परवरदिग़ार आखिरी
उम्मीद तुमसे है
'मुफलिस'को, किसी और पे
विश्वास नहीं है
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
२५ जुलाई २०१४, प्रातः११ बजे
हर रोज़ नई जंग
इस बात का किसी को भी
एहसास नहीं है
मुस्करा कर जिंदगी का
लुत्फ ले रहा हूं
मंजिल का पता जबकि
मेरे पास नहीं है
अधेरों के बीच जुगनुओं
को खोजता हुआ
ये जानते हुए की कोई
आस नहीं है
मैं यूं ही भटकता रहा
मंजिल की खोज में
रहमत से तेरी कोई भी
मायूस नहीं है
परवरदिग़ार आखिरी
उम्मीद तुमसे है
'मुफलिस'को, किसी और पे
विश्वास नहीं है
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
२५ जुलाई २०१४, प्रातः११ बजे
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