किस्मत भी मेरी मुझपे निगहबान हो गई
हर शाम जिंदगी की तेरे नाम हो गई
गज़लें लिखीं जो हमने तनहाईयों में तब
पैमानों में ढलके वो सरेआम हो गई
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
१३ जून २०१४, रात १०.४५
हर शाम जिंदगी की तेरे नाम हो गई
गज़लें लिखीं जो हमने तनहाईयों में तब
पैमानों में ढलके वो सरेआम हो गई
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
१३ जून २०१४, रात १०.४५
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