मोहब्बत में कशिश हो औ इरादे पाक़ होने चाहिये
न सुकूं हो,और जुनूं हो आग होना चाहिये
शाहजहां कहलाने को,दीवानगी सा इश्क हो,
ताजमहल बनवाने को मुमताज़ होना चाहिये
सुर्ख मेंहदी हाथ में उनके रचाना है अगर
मेंहदी में मेरे लहू की बूंद होना चाहिये
ख्वाब़ पूरा हो सकेगा,मंजिलों की खोज का
बस रास्तों की जेहन में पहचान होना चाहिये
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
१३ जून २०१४, रात १०.४५
न सुकूं हो,और जुनूं हो आग होना चाहिये
शाहजहां कहलाने को,दीवानगी सा इश्क हो,
ताजमहल बनवाने को मुमताज़ होना चाहिये
सुर्ख मेंहदी हाथ में उनके रचाना है अगर
मेंहदी में मेरे लहू की बूंद होना चाहिये
ख्वाब़ पूरा हो सकेगा,मंजिलों की खोज का
बस रास्तों की जेहन में पहचान होना चाहिये
ऋषि राज शंकर 'मुफलिस'
१३ जून २०१४, रात १०.४५
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