ना जाने ज़िंदगी में कितने इम्तिहान बाक़ी हैं
अभी छूने को कितने आसमान बाक़ी हैं
थक गया हूं मैं इस बेइंताही दौड़ में अब
ना जाने चढ़ने को कितने पायदान बाक़ी हैं
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
प्रातः 8बजे 5/12/2019
ऐ खुदा उस मील के पत्थर को दिखा दे
तुझसे हूं कितना दूर जो अब इसका पता दे
मिलने की तलब तुझसे अब बढ़ती ही जा रही
मुझे ख्वाहिशों से दूर कर ,अपनी पनाह दे
परवरदिगार 'मुफलिस' पे रहमत की मेहर कर
इस पार से उस पार कर जीवन संवार दे
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
प्रातः 11बजे 5/12/2019
अभी छूने को कितने आसमान बाक़ी हैं
थक गया हूं मैं इस बेइंताही दौड़ में अब
ना जाने चढ़ने को कितने पायदान बाक़ी हैं
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
प्रातः 8बजे 5/12/2019
ऐ खुदा उस मील के पत्थर को दिखा दे
तुझसे हूं कितना दूर जो अब इसका पता दे
मिलने की तलब तुझसे अब बढ़ती ही जा रही
मुझे ख्वाहिशों से दूर कर ,अपनी पनाह दे
परवरदिगार 'मुफलिस' पे रहमत की मेहर कर
इस पार से उस पार कर जीवन संवार दे
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
प्रातः 11बजे 5/12/2019
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