दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Saturday, April 18, 2020

हमेशा इक दूसरे के हक में
दुआ करेंगे, ये तय हुआ था
मिलें या बिछुडे़ एक दूसरे से
वफा़ करेंगे,ये तय हुआ था
कहीं रहो तुम, कहीं रहें हम
मगर मोहब्बत रहेगी कायम
जो ये खता है तो उम्र भर ये
खता करेंगे, ये तय हुआ था
जहाँ मुकद्दर मिलायेगा अब
वहां मिलेंगे, ये शर्त कैसी
जहाँ मिले थे,वहीं हमेशा
मिला करेंगे, ये तय हुआ था
लिपट के रोलेंगे जब मिलेंगे
ग़म अपना अपना बयां करेंगे
मगर ज़माने से मुस्कुरा कर
मिला करेंगे,ये तय हुआ था
किसी के आंचल में खो गये तुम
बताओ,क्यूं दूर हो गए तुम
की जान देके भी हक वफा़ का
अदा करेंगे,ये तय हुआ था
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तेरे दर से जो रोशन हुआ
मैं तो वो चिराग़ हूँ
न हवा में हौसला है
कि बुझा दे मेरी लौ को
जो फ़लक में है चमकता
मैं वो आफ़ताब हूँ
जो मैं हूँ ,वो तेरी हर दम
रहमत का नूर हूँ
जहाँ गुल महक़ रहे हों
ऐसा वो बाग़ हूँ
चाहता हूँ कबसे रहना
तेरी बारगाह में आके
यही तिश्नगी बुझा दे
जन्मों की प्यास हूँ
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
   प्रात:11:30 बजे 22/08/2018

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