धनवंतरि पर थूके अफ़जल
तुमको समय रहा ललकार
उठो राम गांडीव संभालो
तुमको नर्सें रहीं पुकार
दुश्मन मुंह पर थूक रहा है
जिह्हा खींच लो तुम इनकी
ये पौरुष को ललकारें हैं
नस्ल मिटा दो तुम इनकी
घर घर से अफ़जल निकले हैं
मानवता को कुचल रहे
मौत बांटने निकले हैं ये
जिंदा अफ़जल मचल रहे
इन दानव का अंत करो
तब आग बुझेगी सीने में
जब तक ये अफ़जल जीवित हैं
मज़ा नहीं है जीने में
भारत मां का दूध पुकारे
अब इनका संहार करो
लाज रखो भारत माता की
फिर जाकर विश्राम करो
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
प्रातः 7बजे 04/04/2020
तुमको समय रहा ललकार
उठो राम गांडीव संभालो
तुमको नर्सें रहीं पुकार
दुश्मन मुंह पर थूक रहा है
जिह्हा खींच लो तुम इनकी
ये पौरुष को ललकारें हैं
नस्ल मिटा दो तुम इनकी
घर घर से अफ़जल निकले हैं
मानवता को कुचल रहे
मौत बांटने निकले हैं ये
जिंदा अफ़जल मचल रहे
इन दानव का अंत करो
तब आग बुझेगी सीने में
जब तक ये अफ़जल जीवित हैं
मज़ा नहीं है जीने में
भारत मां का दूध पुकारे
अब इनका संहार करो
लाज रखो भारत माता की
फिर जाकर विश्राम करो
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
प्रातः 7बजे 04/04/2020
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