वक़्त अपना भी इक रोज़ बदल जायेगा
फिर नया दौरे इंकलाब नज़र आयेगा
ये हक़ीक़त है मान लो तुम भी
फिर कोई जुगनु आफताब बनके आयेगा
ज़िक्र होगा जहां जफ़ाओं का
तेरा ही नाम अब मेरी ज़ुबां पे आयेगा
रात काली घिरी हो बादल से
मेरा मेहताब़ वहीं फिर से नज़र आयेगा
कश्ती झेल रही वक्त के थपेडों को
है यकीं मांझी मेरा पार लेके जायेगा
फिर नया दौरे इंकलाब नज़र आयेगा
ये हक़ीक़त है मान लो तुम भी
फिर कोई जुगनु आफताब बनके आयेगा
ज़िक्र होगा जहां जफ़ाओं का
तेरा ही नाम अब मेरी ज़ुबां पे आयेगा
रात काली घिरी हो बादल से
मेरा मेहताब़ वहीं फिर से नज़र आयेगा
कश्ती झेल रही वक्त के थपेडों को
है यकीं मांझी मेरा पार लेके जायेगा
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