आँसुओं से जो आगाजे़ महफिल हुआ
बाखुदा ,एक समंदर नज़र आ गया
एक तो पहले से ही,दिल के कमजो़र थे
फिर टूट के यूँ बिखरना कहर ढा गया
कोशिशें भूलने की, कई बार की
हर दफा़ तेरा चेहरा नज़र आ गया
बेवफाई की चर्चा चली जब कहीं
अक्स तेरा जे़हन में उतर आ गया
किस कद्र तुमने लूटा,मेरे दिल को यूँ
तेरी हालत पे मुझको तरस आ गया
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
रात्रि:9:30 बजे 21/08/2018
अहले दुनिया से यूँ ही परेशां हैं हम
अब न छेडो़ मुझे, मैं बिख़र जाऊंगा
जिंदगी चंद लम्हों की बाकी है फिर
बनके खुश्बू फिजा़ं मे बिखर जाऊंगा
इतना आसां नही है भुलाना मुझे
याद बनके जेहन में उतर जाऊंगा
तेरे दर से मिली अबकी ठोकर अगर
बनके फिर से सवाली,किधर जाऊंगा
नही चाह दौलत की मुझको रही, मैं तो 'मुफ़लिस' ही रहकर गु़ज़र जाऊंगा
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
रात्रि:10:30 बजे 21/08/2018
बाखुदा ,एक समंदर नज़र आ गया
एक तो पहले से ही,दिल के कमजो़र थे
फिर टूट के यूँ बिखरना कहर ढा गया
कोशिशें भूलने की, कई बार की
हर दफा़ तेरा चेहरा नज़र आ गया
बेवफाई की चर्चा चली जब कहीं
अक्स तेरा जे़हन में उतर आ गया
किस कद्र तुमने लूटा,मेरे दिल को यूँ
तेरी हालत पे मुझको तरस आ गया
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
रात्रि:9:30 बजे 21/08/2018
अहले दुनिया से यूँ ही परेशां हैं हम
अब न छेडो़ मुझे, मैं बिख़र जाऊंगा
जिंदगी चंद लम्हों की बाकी है फिर
बनके खुश्बू फिजा़ं मे बिखर जाऊंगा
इतना आसां नही है भुलाना मुझे
याद बनके जेहन में उतर जाऊंगा
तेरे दर से मिली अबकी ठोकर अगर
बनके फिर से सवाली,किधर जाऊंगा
नही चाह दौलत की मुझको रही, मैं तो 'मुफ़लिस' ही रहकर गु़ज़र जाऊंगा
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
रात्रि:10:30 बजे 21/08/2018
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