इतना सरल बनो कि जीवन
सुंदर सरल तुम्हारा हो
इतने अडिग बनो कि संभव
हर इक लक्ष्य तुम्हारा हो
रस्ता भले कठिन हो लेकिन
मंजिल तक ले जायेगा
द्रढ निश्चय कर चलो इसी पर
विजयी ध्येय तुम्हारा हो
रात अंधेरी हो तो क्या ग़म
निश्चित सुबह तुम्हारी है
सूरज की लाली जब फूटे
उसमें उदय तुम्हारा हो
राग द्वेष और लोभ कपट से
ऊपर उठ कर सोचो
स्नेह प्रेम से भरा हुआ ही
निश्छल हदय तुम्हारा हो
तुम ईश्वर के सेवक हो बस
यही मान कर काम करो
मानवता ही परम धर्म ये
जीवन लक्ष्य तुम्हारा हो
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
सांयः 8 बजे 14/08/2019
सुंदर सरल तुम्हारा हो
इतने अडिग बनो कि संभव
हर इक लक्ष्य तुम्हारा हो
रस्ता भले कठिन हो लेकिन
मंजिल तक ले जायेगा
द्रढ निश्चय कर चलो इसी पर
विजयी ध्येय तुम्हारा हो
रात अंधेरी हो तो क्या ग़म
निश्चित सुबह तुम्हारी है
सूरज की लाली जब फूटे
उसमें उदय तुम्हारा हो
राग द्वेष और लोभ कपट से
ऊपर उठ कर सोचो
स्नेह प्रेम से भरा हुआ ही
निश्छल हदय तुम्हारा हो
तुम ईश्वर के सेवक हो बस
यही मान कर काम करो
मानवता ही परम धर्म ये
जीवन लक्ष्य तुम्हारा हो
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
सांयः 8 बजे 14/08/2019
No comments:
Post a Comment