गरज कर सारी रात वो बरस गए मुझ पर
समझ ना पाये हम,अंदाज़ कातिलाना था
सह गए हम भी इल्जा़मात बड़ी ख़ामोशी से
रह गये चुप मगर बहुत कुछ बताना था
हर पल आस का दीप जलाये
मन में इक विश्वास जगाये
मैं तुझे ढूंढता रहता हूं
कुछ बहका बहका रहता हूं
समझ ना पाये हम,अंदाज़ कातिलाना था
सह गए हम भी इल्जा़मात बड़ी ख़ामोशी से
रह गये चुप मगर बहुत कुछ बताना था
हर पल आस का दीप जलाये
मन में इक विश्वास जगाये
मैं तुझे ढूंढता रहता हूं
कुछ बहका बहका रहता हूं
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