मेरी हस्ती को समझो
ये तेरे बस की बात नही
शेर की ताकत गीदड़ समझे
ये गीदड़ की औकात नही
बहुत देर तक तन्हाई में
तुझपे गज़ल लिखता रहा
और आँसुओं का काफि़ला
इस दरमियां बहता रहा
हाँ,यकीनन अब भी तेरी
याद तड़पाती बहुत
सामने सबके हँसा पर
दिल में बस रोता रहा
ये तेरे बस की बात नही
शेर की ताकत गीदड़ समझे
ये गीदड़ की औकात नही
बहुत देर तक तन्हाई में
तुझपे गज़ल लिखता रहा
और आँसुओं का काफि़ला
इस दरमियां बहता रहा
हाँ,यकीनन अब भी तेरी
याद तड़पाती बहुत
सामने सबके हँसा पर
दिल में बस रोता रहा
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