दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Saturday, April 18, 2020

शिकस्तों के कब्रिस्तान पर
ताज,उम्मीदों का टूटा पड़ा है
ना‌ जाने कैसा मुश्किल
वक़्त सर पर आ पड़ा है
जिन्हें समझा था अपना
हमनेअपनी ज़िन्दगी में
वो हर शख़्स यूं दामन
छुड़ा के चुप खड़ा है
अंधेरी सी गली में
भागतीअब जिंदगी है,
कि हर इक मोड़ पर मेरा
सा इक साया खड़ा है
तकाज़ा वक्त का है
सब्र करके देखता हूं
ना जाने रास्ता बाक़ी
अभी कितना पड़ा है
'मुफलिसी' हाथ धोकर
इस कद्र पीछे पड़ी है
मैं अपनी ज़िद में हूं
डट कर उसूलों पर अड़ा हूं
  ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
     प्रातः 11बजे 27/02/2020

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