अगर जो साथ चलो
दिल को तसल्ली आये
एक बुझते हुऐ दिये
में रोशनी आये
तुम्हारे नाम को आयत
की तरह पढ़ता हूँ
इसी बहाने से,थोडी़
सी इबा़दत आये
सुकूं होगा सुपुर्दे
खा़क़ मुझको होने में
तुम्हारी आँख सेआँसू
अगर निकल आये
रस्में दुनिया ही सही
फातिहा पढ़ जाओ अगर
हमारी कब्र पे रौनक
ज़रा नज़र आये
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
प्रात:9:30 बजे 22/08/2018
दिल को तसल्ली आये
एक बुझते हुऐ दिये
में रोशनी आये
तुम्हारे नाम को आयत
की तरह पढ़ता हूँ
इसी बहाने से,थोडी़
सी इबा़दत आये
सुकूं होगा सुपुर्दे
खा़क़ मुझको होने में
तुम्हारी आँख सेआँसू
अगर निकल आये
रस्में दुनिया ही सही
फातिहा पढ़ जाओ अगर
हमारी कब्र पे रौनक
ज़रा नज़र आये
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
प्रात:9:30 बजे 22/08/2018
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