सत्ताईस बरस की दूरी में हर
धूप छांव भी साथ सही
खठ्ठे मीठे लम्हे बीते ,कुछ
हमने सुनी कुछ तुमने कही
मेरी हर इक मुश्किल में तुम
साया बन कर मेरे साथ खड़ी
तुम अडिग रहीं मेरे साथ सदा
जीवन की चलती रही घड़ी
आशीष मेरा है, ये तुमको
कि रहो सुहागिन जीवन भर
जब भी मुश्किल में जीवन हो
बस हंसती रहना जीवन भर
एक और साल फिर से वही काम कर गया
कुछ को बनाके खा़स,किसीको आम कर गया
हम तो वहीं खड़े हैं जहां पे पिछले साल थे
नाकामियों को फ़िर हमारे नाम कर गया
रिश्तों के रंग,प्याज़ के छिलकों सा उतर गए
अच्छे बुरे की ठीक से पहचान कर गया
बाक़ी रहा ना हौसला अब इम्तिहान का
पर्चा बहुत कठिन था, परेशान कर गया
धूप छांव भी साथ सही
खठ्ठे मीठे लम्हे बीते ,कुछ
हमने सुनी कुछ तुमने कही
मेरी हर इक मुश्किल में तुम
साया बन कर मेरे साथ खड़ी
तुम अडिग रहीं मेरे साथ सदा
जीवन की चलती रही घड़ी
आशीष मेरा है, ये तुमको
कि रहो सुहागिन जीवन भर
जब भी मुश्किल में जीवन हो
बस हंसती रहना जीवन भर
एक और साल फिर से वही काम कर गया
कुछ को बनाके खा़स,किसीको आम कर गया
हम तो वहीं खड़े हैं जहां पे पिछले साल थे
नाकामियों को फ़िर हमारे नाम कर गया
रिश्तों के रंग,प्याज़ के छिलकों सा उतर गए
अच्छे बुरे की ठीक से पहचान कर गया
बाक़ी रहा ना हौसला अब इम्तिहान का
पर्चा बहुत कठिन था, परेशान कर गया
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