किस किस से बयां करें हम
हालात ज़िंदगी के
सुनते हैं सभी लेकिन
कतरा के निकल जाते
न मांझी,न हमसफ़र,न हक में हवाएं,
है कश्ती भी जर्जर,ये कैसा सफर है..
अलग ही मजा है फकीरी का अपना,
न पाने की चिंता,न खोने का डर है..
हालात ज़िंदगी के
सुनते हैं सभी लेकिन
कतरा के निकल जाते
न मांझी,न हमसफ़र,न हक में हवाएं,
है कश्ती भी जर्जर,ये कैसा सफर है..
अलग ही मजा है फकीरी का अपना,
न पाने की चिंता,न खोने का डर है..
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