दिल की अभिव्यक्ति

दिल की अभिव्यक्ति
दिल की अभिव्यक्ति

Saturday, April 18, 2020

जीवन में रिश्तों पर कैसे
काले बादल छाये हैं
डिजीटल हो गई सारी दुनिया
रिश्ते हुऐ पराये है
मन में चाहे जहर भरा हो
फेसबुक पे लाईक तो बनता है
व्हाटस अप पे ही हाय हेलो
कर सबके सब बौराये हैं
पहले फोन बहुत मंहगा था
फिर भी 'बात' हो जाती थी
पर फोन हुआ सस्ता जबसे
आवाज़ नही सुन पाये हैं
सब अपनी दुनिया में व्यस्त
हैं,किसको कौन पूछता अब
ऐसी डिजीटल दुनिया में तो
मेरा मन घबराये है
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
   सांय:7:30 बजे 18/04/2018

लामबंद हो रहे लुटेरे
इक 'चौकीदार' भगाने को
देश को रबडी़ जैसा खाने
की आस जगाने को
माँ के पप्पू को सपने में
रोज़ दिखाई कुर्सी दे
भारत की सेवा को तत्पर
ये भारत को ,खाने को
बबुआ-बुआ गले मिल बैठे
शिक़वे गिले मिटाने को
साम दाम औ दंड भेद से
सत्ता पाना परम लक्ष्य है
ये लंपट आतुर हो गए हैं
एक मंच पर आने को
छप्पन इंची सीने से डर
ये सबके सब बौराये हैं
नोटबंदी ने लूटा इनको
बरसों की जमा गंवाये है
देशवासियों अब तो जागो
इनको इनकी जगह दिखाओ
ये भारत के लायक नही है
इनको पाकिस्तान भगाओ

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