तक़दीर ने किनारों से ना करी दोस्ती
भंवर में नाचते रहे,इतना नसीब़ था
वो पास आके बैठा,पर खा़मोश ही रहा
क्यूँ इतना दूर हो गया,जितना करीब़ था
हमने नदी से कश्ती,अब खु़द ही निकाल ली
सूखी नदी में नाव चलाना,अजीब़ था
दरियादिली के उसके तो,किस्से सुने बहुत
पर ये ख़बर ना थी,वो 'मुफ़लिस'से ग़रीब था
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
प्रातः 5 बजे 6/07/2019
भंवर में नाचते रहे,इतना नसीब़ था
वो पास आके बैठा,पर खा़मोश ही रहा
क्यूँ इतना दूर हो गया,जितना करीब़ था
हमने नदी से कश्ती,अब खु़द ही निकाल ली
सूखी नदी में नाव चलाना,अजीब़ था
दरियादिली के उसके तो,किस्से सुने बहुत
पर ये ख़बर ना थी,वो 'मुफ़लिस'से ग़रीब था
ऋषि राज शंकर 'मुफ़लिस'
प्रातः 5 बजे 6/07/2019
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